दिल पे खुशियों की वो बरसात कहाँ होती है
वो तो मिलते हैं मगर बात कहाँ होती है
इस नए दौर के जिंदा भी हैं मुर्दों की तरह
गर्मिए शिद्दते जज़्बात कहाँ होती है
दोस्त बातोंमें उड़ाते थे अंधेरे जिसके
अब रसीली वो भला रात कहाँ होती है
खुल के मिलते थे सुदामा से कन्नहिया जैसे
अब वो पहली सी मुलाकात कहाँ होती है
रूबरू आते ही आँचल को हवा ले जाए
अब वो जादू सी करामत कहाँ होती है
अब्र से पहले चले आते हैं आंधी तूफां
दिल लुभाती हुई बरसात कहाँ होती है
जान देकर भी जो हर फ़र्ज़ अदा करते हैं
ऐसे मर्दों की भला मात कहाँ होती है
दिल भी उसका है जुबां उसकी बयां भी उसका
हमसे तफसीरे अनायत कहाँ होती है
तेरी यादों ने ग़ज़ल कहना सिखाया हमको
इस से बढ़ कर कोई सौगात कहाँ होती है
हुस्न पर जान लुटा कर जो मुहब्बत मांगे
इश्क की इतनी भी औकात कहाँ होती है
हम फकीरों को कहाँ इस की ख़बर है ‘आमिल’
दिन गुज़रता है कहाँ रात कहाँ होती है
राजबीर देसवाल ' आमिल '
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ReplyDeleteClouds O Clouds..!!
ReplyDeletebehaving like my restless lover,
who goes before he comes...!!
But still I wait for him,
as looking up the sky
For you to rainshower to soak me
again............n again.............!!
Clouds O Clouds..!!
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who goes before he comes...!!
But still I wait for him,
as looking up the sky
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