Writer Cop
Thursday, July 22, 2010
इन्हें आप से कोई काम है
ये रोज़ रोज़ क़ि मिन्नतें
ये आप , जनाब ये जुस्तजू
ये खुशामदें बे- गरज नहीं
इन्हें आप से कोई काम है
1 comment:
CrapSoul
July 22, 2010 at 9:34 PM
पहचानिए जनाब कितने ढक्कन के नीचे बंधी है शराब
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पहचानिए जनाब कितने ढक्कन के नीचे बंधी है शराब
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