Sunday, September 20, 2009

तू मेरा नाम भी ले जा


जब कतल किया मुझको तो इनाम भी ले जा
दीवान भी ले जा तू मेरा जाम भी ले जा
ले जा मेरे अशआर ये सब तेरे लिए हैं
और इनमे छुपा जज्बये नाकाम भी ले जा
सोचा था तू तड़पेगा कभी याद में मेरी
जो दिल में पले वो मेरे एह्वाम भी ले जा
अब मुझको नहीं रास आस रहा शोबए उल्फत
आगाज़ भी ले इसका तू अंजाम भी ले जा
तुने तो तिजारत से भी छीनी है सदाक़त
ले माल भी ले जा तू मेरा दाम भी ले जा
अब आने लगी रास मुझे शब् की स्याही
अब सुबह भी ले जा तू मेरी शाम भी ले जा
‘आमिल’ हूँ मेरे नाम से पहचान है तेरी
तू जा ही रहा है तो मेरा नाम भी ले जा
राजबीर देसवाल २००७