Saturday, January 23, 2010

Helplessness with honesty

I love it when someone expresses his/her helplessness with honesty like in सोंग्स:
मैं तो तुम संग नैन मिलाते हार गई सजना
तेरी दुनिया से दूर चले हो के मजबूर हमें याद रखना
पंख होते तो उड़ आती रे
तेरी आँख के आंसू पी जाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ

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