Thursday, July 22, 2010

इन्हें आप से कोई काम है

ये रोज़ रोज़ क़ि मिन्नतें
ये आप , जनाब ये जुस्तजू
ये खुशामदें बे- गरज नहीं
इन्हें आप से कोई काम है

1 comment:

CrapSoul said...

पहचानिए जनाब कितने ढक्कन के नीचे बंधी है शराब