था जिनको हरियाणवी बोली से परहेज ,पंडित लखमीचंद को पढ़ेँगे वे अँग्रेज ।पढ़ेँगे वे अँग्रेज किया जिसने कमाल है ,...मान गए सब, बेमिसाल वह देसवाल है ।राजबीर ने खाकी मेँ वह कर दिखलाया ,इस माटी का लाल विश्व का मित्र कहाया ।- कृष्ण गोपाल विद्यार्थी
मेरा जवाब भी सुन लो भाई :
तेरी विरासत के सुनना, हैं जो असल हक़दार ,
उनमे ओ दादा लखमी चंद, तू लेना अवतार,
तू लेना अवतार, फिर उसी ढंग-चाल से ,
बचे रहना मगर विद्यार्थी कृषण गोपाल से ,
करे ऐसी तारीफ, दिलों में भरे ऐसा उल्लास ,
तेरी तरह सभी लोगों की करे टेंशन खल्लास !
राजबीर देसवाल
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