गज़ल
दिल की दिवाली हो गयी
पर रूह काली हो गयी
किस्मत का लिखा मिल गया
पेशानी काली हो गयी
उम्र तो ढलती गयी
जीना दलाली हो गयी
एक मोहब्बत पाक थी
अब वो भी जाली हो गयी
आसमां पाने की जिद
क्यूंकर ख्याली हो गयी
अमन की डाली भी अब
हद तक बवाली हो गयी
‘आमिल’ तुम्हारी यह खुदी
बेहद सवाली हो गयी
©राजबीर देसवाल
दिल की दिवाली हो गयी
पर रूह काली हो गयी
किस्मत का लिखा मिल गया
पेशानी काली हो गयी
उम्र तो ढलती गयी
जीना दलाली हो गयी
एक मोहब्बत पाक थी
अब वो भी जाली हो गयी
आसमां पाने की जिद
क्यूंकर ख्याली हो गयी
अमन की डाली भी अब
हद तक बवाली हो गयी
‘आमिल’ तुम्हारी यह खुदी
बेहद सवाली हो गयी
©राजबीर देसवाल
1 comment:
NAADIR KALAAM
woh sawali ho yah khali ho ,
hua kya agar muhabaat jaali ho?
ya dhalte suraj jaisi uski jawani ho.
tere dil mein sada ek Aatish-fishaan ho.!,
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