Sunday, January 17, 2010

धुआं और बादल


वह जो धुआं उठ रहा है
उस पहाड़ पर
ज़रूरी नहीं
की वो कोई बादल हो .
धुआं और बादल
दो माओं
आग और पानी से
जन्मे हैं
फिर भी
सगे से लगते हैं.
गर धुएं और बादल में
कोई फर्क नहीं
तो इतना फर्क क्यों है ?
शायद यह फर्क
दूर से नज़र नहीं आता
मगर जो नज़दीक से
महसूस होता है
वह फर्क
फर्क क्यूं है ?
क्यों नजदीकियां
नजदीकियों में
फर्क करती हैं ?
क्यों दूरियां
नजदीकियों का
दम भरती हैं?
राजबीर देसवाल

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