Tuesday, December 14, 2010

Phoney-Tracks! तड़क तड़क !

(When I met Dilip Kumar in 1997, he mouth-enacted this to me!)
तड़क
तड़क - तड़क तड़क -तड़क तड़क (और फिर जमुना का पुल आ जाता है) तड़ाआम- तड़ाआम-तड़ाआम -तड़ाआम-तड़ाआम-तड़ाआम (फिर वापस रेल अपनी पे आ जाती है ) तड़क तड़क -तड़क तड़क -तड़क तड़क!!! SPANS in the journey make a difference in acoustics...more resonance...more romance...more music...तड़क तड़क तड़क तड़क !

No comments: